- वैदिक सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ - à¤à¤¾à¤°à¤¤-आरà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸à¤¨, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚à¤à¤¿à¤• और बाद में वैदिक काल [यूपीà¤à¤¸à¤¸à¥€ जीà¤à¤¸-आई]
- इंडो-आरà¥à¤¯à¤¨ माइगà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨
- आरà¥à¤¯ à¤à¤• अरà¥à¤§-खानाबदोश देहाती लोग थे।
- आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की मूल मातृà¤à¥‚मि विवाद का विषय है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ विशेषजà¥à¤ž अलग-अलग जगहों पर चरà¥à¤šà¤¾ कर रहे हैं।
- कà¥à¤› का कहना है कि वे मधà¥à¤¯ à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾ (मैकà¥à¤¸ मà¥à¤²à¤°) में कैसà¥à¤ªà¤¿à¤¯à¤¨ सागर के आसपास के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ हैं, जबकि अनà¥à¤¯ सोचते हैं कि वे रूसी सà¥à¤Ÿà¥‡à¤ªà¥à¤¸ से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ हैं। बाल गंगाधर तिलक का मत था कि आरà¥à¤¯ आरà¥à¤•à¤Ÿà¤¿à¤• कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° से आठथे।
- वैदिक यà¥à¤— की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤-गंगा के मैदानों पर आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के कबà¥à¤œà¥‡ से हà¥à¤ˆà¥¤
- आरà¥à¤¯ शबà¥à¤¦ का अरà¥à¤¥: कà¥à¤²à¥€à¤¨à¥¤
- वे संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ बोलते थे, à¤à¤• इंडो-यूरोपीय à¤à¤¾à¤·à¤¾à¥¤
- उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सिंधॠघाटी के लोगों की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में à¤à¤• गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£, अरà¥à¤§-खानाबदोश जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ किया, जो शहरीकृत थे।
- à¤à¤¸à¤¾ माना जाता है कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने खैबर दरà¥à¤°à¥‡ से à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया था।
- वैदिक काल के दो चरण
- पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚à¤à¤¿à¤• वैदिक काल या ऋगà¥à¤µà¥ˆà¤¦à¤¿à¤• काल (1500 ईसा पूरà¥à¤µ - 1000 ईसा पूरà¥à¤µ)
- पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठमें आरà¥à¤¯ "सपà¥à¤¤ सिंधà¥" (सात नदियों की à¤à¥‚मि) के रूप में जानी जाने वाली à¤à¥‚मि में रहते थे। ये सात नदियाठथीं: सिंधॠ(सिंधà¥), विपाश (बà¥à¤¯à¤¾à¤¸), वितसà¥à¤¤à¤¾ (à¤à¥‡à¤²à¤®), परà¥à¤·à¥à¤¨à¥€ (रावी), असिकनी (चिनाब), शà¥à¤¤à¥à¤¦à¥à¤°à¥€ (सतलà¥à¤œ) और सरसà¥à¤µà¤¤à¥€à¥¤
- राजनीतिक संरचना:
- राजन के नाम से जाने जाने वाले राजा के साथ सरकार का राजशाही रूप।
- पितृसतà¥à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• परिवार। ऋगà¥à¤µà¥ˆà¤¦à¤¿à¤• काल में जन सबसे बड़ी सामाजिक इकाई थी।
- सामाजिक समूहीकरण: कà¥à¤² (परिवार) - गà¥à¤°à¤¾à¤® - विसॠ- जन।
- जनजातीय सà¤à¤¾à¤“ं को सà¤à¤¾ और समितियाठकहा जाता था। आदिवासी राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के उदाहरण: à¤à¤°à¤¤, मतà¥à¤¸à¥à¤¯, यदॠऔर पà¥à¤°à¥à¥¤
- सामाजिक संरचना:
- महिलाओं को समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤œà¤¨à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ था। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¤à¤¾à¤“ं और समितियों में à¤à¤¾à¤— लेने की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ थी। महिला कवयितà¥à¤°à¥€ à¤à¥€ थीं (अपाला, लोपामà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾, विशà¥à¤µà¤µà¤° और घोष)।
- मवेशी विशेष रूप से गाय बहà¥à¤¤ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ हो गà¤à¥¤
- मोनोगैमी का पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ था लेकिन राजघरानों और कà¥à¤²à¥€à¤¨ परिवारों में बहà¥à¤µà¤¿à¤µà¤¾à¤¹ मनाया जाता था।
- बाल विवाह नहीं हà¥à¤†à¥¤
- सामाजिक à¤à¥‡à¤¦ मौजूद थे लेकिन कठोर और वंशानà¥à¤—त नहीं थे। आरà¥à¤¥à¤¿à¤• संरचना:
- वे à¤à¤• चरवाहे और पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ करने वाले लोग थे।
- वे कृषि में लगे हà¥à¤ थे।
- तांबे, लोहे और कांसे से बने उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ उपयोग में थे।
- उनके पास घोड़े के रथ थे।
- परिवहन के लिठनदियों का उपयोग किया जाता था।
- सूती और ऊनी कपड़ों को काता और इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया जाता था।
- पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठमें वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° वसà¥à¤¤à¥ विनिमय पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ के माधà¥à¤¯à¤® से किया जाता था लेकिन बाद में 'निषà¥à¤•à¤¾' नामक सिकà¥à¤•à¥‹à¤‚ का उपयोग किया जाने लगा।
- धरà¥à¤®:
- उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पृथà¥à¤µà¥€, अगà¥à¤¨à¤¿, वायà¥, वरà¥à¤·à¤¾, गरज आदि जैसी पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को देवताओं के रूप में पहचान कर उनकी पूजा की।
- इंदà¥à¤° (गरज) सबसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ देवता थे। अनà¥à¤¯ देवता पृथà¥à¤µà¥€ (पृथà¥à¤µà¥€), अगà¥à¤¨à¤¿ (अगà¥à¤¨à¤¿), वरà¥à¤£ (वरà¥à¤·à¤¾) और वायॠ(हवा) थे।
- महिला देवता उषा और अदिति थीं।
- कोई मंदिर नहीं थे और कोई मूरà¥à¤¤à¤¿ पूजा नहीं थी।
- उतà¥à¤¤à¤° वैदिक काल या चितà¥à¤°à¤¿à¤¤ गà¥à¤°à¥‡ वेयर चरण (1000 ईसा पूरà¥à¤µ - 600 ईसा पूरà¥à¤µ)
- इस समय के दौरान, आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने पूरà¥à¤µ की ओर रà¥à¤– किया और पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ और पूरà¥à¤µà¥€ यूपी (कोसल) और बिहार पर कबà¥à¤œà¤¾ कर लिया। राजनीतिक संरचना:
- छोटे राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को मिलाकर महाजनपद जैसे राजà¥à¤¯ बनाठगà¤à¥¤
- राजा की शकà¥à¤¤à¤¿ में वृदà¥à¤§à¤¿ हà¥à¤ˆ और उसने अपनी सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ को बढ़ाने के लिठविà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ बलिदान किà¤à¥¤
- बलिदान थे राजसूय (अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• समारोह), वाजपेय (रथ दौड़) और अशà¥à¤µà¤®à¥‡à¤§ (घोड़े की बलि)।
- सà¤à¤¾à¤“ं और समितियों का महतà¥à¤µ कम हो गया। सामाजिक संरचना:
- सामाजिक à¤à¥‡à¤¦ की वरà¥à¤£ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ अधिक विशिषà¥à¤Ÿ हो गई। यह वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ के आधार पर कम और वंशानà¥à¤—त अधिक होता गया।
- घटती सामाजिक रैंकिंग में समाज के चार विà¤à¤¾à¤œà¤¨ थे: बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ (पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€), कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ (शासक), वैशà¥à¤¯ (किसान, वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°à¥€ और कारीगर), और शूदà¥à¤° (उचà¥à¤š तीन वरà¥à¤—ों के सेवक)।
- महिलाओं को सà¤à¤¾à¤“ं और समितियों जैसी सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• सà¤à¤¾à¤“ं में à¤à¤¾à¤— लेने की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ नहीं थी। समाज में उनका सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ गिरा।
- बाल विवाह आम हो गया।
- वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ के आधार पर उपजातियों का à¤à¥€ उदय हà¥à¤†à¥¤ गोतà¥à¤°à¥‹à¤‚ को संसà¥à¤¥à¤¾à¤—त रूप दिया गया। आरà¥à¤¥à¤¿à¤• संरचना:
- कृषि मà¥à¤–à¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ था।
- धातॠका काम, मिटà¥à¤Ÿà¥€ के बरà¥à¤¤à¤¨à¥‹à¤‚ और बढ़ईगीरी के काम जैसे औदà¥à¤¯à¥‹à¤—िक काम à¤à¥€ होते थे।
- बाबà¥à¤² से à¤à¥€ विदेशी वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° होता था। धरà¥à¤®:
- पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ (निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾) और विषà¥à¤£à¥ (संरकà¥à¤·à¤•) महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ देवता बन गà¤à¥¤
- इंदà¥à¤° और अगà¥à¤¨à¤¿ ने अपना महतà¥à¤µ खो दिया।
- पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ का महतà¥à¤µ कम हो गया और अनà¥à¤·à¥à¤ ान और बलिदान अधिक विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ हो गà¤à¥¤
- पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ वरà¥à¤— बहà¥à¤¤ शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ हो गया और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ और करà¥à¤®à¤•à¤¾à¤‚डों के नियमों को निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ किया। इसी रूढ़िवादिता के कारण इस काल के अंत में बौदà¥à¤§ और जैन धरà¥à¤® का उदय हà¥à¤†à¥¤
- वैदिक साहितà¥à¤¯
- 'वेद' शबà¥à¤¦ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ 'विद' धातॠसे हà¥à¤ˆ है जिसका अरà¥à¤¥ है आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨/जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का विषय/जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने का साधन।
- चार वेद हैं: ऋगà¥, यजà¥à¤°, साम और अथरà¥à¤µà¥¤
- ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ की रचना पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚à¤à¤¿à¤• वैदिक काल में हà¥à¤ˆ थी। अनà¥à¤¯ तीन उतà¥à¤¤à¤° वैदिक यà¥à¤— में लिखे गठथे।
- ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ - यह विशà¥à¤µ का सबसे पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ धारà¥à¤®à¤¿à¤• गà¥à¤°à¤‚थ है। इसमें 1028 à¤à¤œà¤¨ हैं और इसे 10 मंडलों में वरà¥à¤—ीकृत किया गया है।
- यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ - यह अनà¥à¤·à¥à¤ ान करने के तरीकों से संबंधित है।
- सामवेद - संगीत से संबंधित है। कहा जाता है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संगीत की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ सामवेद से हà¥à¤ˆ है।
- अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ - मंतà¥à¤° और जादà¥à¤ˆ सूतà¥à¤° शामिल हैं।
- अनà¥à¤¯ वैदिक गà¥à¤°à¤‚थ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ थे (बलिदान का अरà¥à¤¥ बताते हैं); उपनिषद (जिसे वेदांत à¤à¥€ कहा जाता है, संखà¥à¤¯à¤¾ में 108, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ का सà¥à¤°à¥‹à¤¤); और आरणà¥à¤¯à¤• (निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚)।
- महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ और रामायण के महान à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ महाकावà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की रचना à¤à¥€ इसी काल में हà¥à¤ˆ थी।